प्रयागराज के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले का रंगारंग समापन हो गया | राष्ट्रीय शिल्प मेले में देश भर के अलग अलग राज्यों से आये शिल्पकारों ने अपने हुनर से बने सैकड़ों उत्पाद बिक्री के लिए अपने स्टाल में जिसकी शहर के नागरिकों ने जमकर खरीददारी की | हस्तशिल्प से लेकर खानपान और घरेलु इस्तेमाल की वस्तुओं की यहाँ जमकर खरीददारी हुई | एक अनुमान के मुताबिक़ इस शिल्प मेले में इस बार 35 करोड़ से अधिक के सामान और खाने पीने की वस्तुओं की बिक्री हुई |
शिल्प मेले में रोज शाम सजने वाली सांस्कृतिक संध्या में भी स्थानीय लोगो ने जमकर लुत्फ़ उठाया | शिल्प मेले के समापन अवसर पर भी को मुक्ताकाशी मंच लोगों से खचाखच भरा हुआ था। सारेगामाप लिटिल चैम्प सीजन दो के विजेता हेमंत बृजवासी की मंचीय प्रस्तुति ने सुरों से समा बांध दिया । कार्यक्रम की शुरूआत झिझिया नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति से हुई जिसमे बिहार से पधारे अमानाथा प्रसाद एवं दल के द्वारा झिझिया नृत्य पेश किया गया, जिसमें कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से मिथिला की संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को बखूबी सामने रखा।
कलाकारों ने चरकुला के साथ त्रिपुरा के होजागिरी लोकनृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। इन 12 दिनों में देश भर की विभिन्न लोक कलाओं और लोक गायन की यहाँ मनमोहक प्रस्तुतियां की गई जिसे यहाँ के दर्शक कभी भुला नहीं पायेंगे | समापन समारोह के अंतिम पलों में केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने पद्मश्री पण्डित राम दयाल शर्मा और हेमंत बृजवासी को पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र भेंट कर उनका सम्मान किया। केंद्र निदेशक ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले नौटंकी, माच, रामलीला आदि हुआ करती थी, लेकिन अब इन परंपरागत लोक कलाओं का स्थान आधुनिक सिनेमा ने ले लिया है। युवाओं को इन परम्परागत कलाओं को फिर से पुर्नजीवित करने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने सबका आभार व्यक्त किया।