प्रयागराज की फलक नाज़ पर क्यों है मुल्क को नाज़ ..?

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प्रयागराज की फलक नाज़ पर क्यों है मुल्क को नाज़ ..?
प्रयागराज स्पोर्ट्स डेस्क : अपने हौसलों की मजबूती से प्रयागराज में चपरासी की एक बेटी ने अंडर 19 वर्ल्ड कप क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई है | तेज गेंदबाज और आक्रमक बल्ल्बाज़ी करने वाली फलक नाज़ अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिलाओं के अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की तरफ से खेलती हुई नजर आएंगी | ख़ास बात यह है कि नाज़ के पिता अपनी बेटी की इस कामयाबी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन को दे रहे हैं जिसमे उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी को आगे बढाओ का मूल मन्त्र दिया था |

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प्रयागराज के कठघर इलाके की जिस मुस्लिम बस्ती में लड़कियों को स्कूल जाने तक की बंदिश थी उसी बस्ती में एक बेहद गरीब परिवार इस लडकी फलक नाज़ ने वह कर दिखाया जिस पर जल्दी यकीन कर पाना मुमकिन नहीं लगता | टीम इंडिया की जर्सी में क्रिकेट की बॉल पर अपनी उँगलियाँ चलाती फलक नाज़ को बीसीसीआई ने अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिलाओं की अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के लिए चुना है | प्रयागराज में यमुना नदी के किनारे सीलन भरे एक टूटे फूटे इस छोटे से कमरे में नाज़ और उसका पांच सदस्यों का परिवार रहता है उस घर की आमदानी का अंदाजा आप खुद लगा सकते है | नाज के अब्बू नासिर जो एक निजी स्कुल में चपरासी की नौकरी करते हैं उनके इस घर पर भले पक्की छत का साया न हो लेकिन अपनी बेटी के क्रिकेट खेलने के जूनून को आगे ले जाने का पक्का इरादा जरुर था | बेहद गरीबी और पैसों के अभाव के बावजूद सामाजिक ताने-बाने को तोड़ते हुए मां बाप ने जिस तरह उसका हौसला बढ़ाया, जिस तरह कोई कमी नहीं होने दी, वह बेमिसाल है.

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नाज़ के अब्बू कहते हैं की नाज़ को इस मुकाम तक लाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विज़न ने उन्हें बहुत हद तक उन्हें प्रेरित किया था जिसमे उन्होंने बेटी बचाओ बेटी को आगे ले जाओ का मूल मन्त्र दिया था |
प्रयागराज की नाज़ बनी फलक नाज़ जब 12 साल की थी, तब वह अपनी गली में बच्चों को क्रिकेट खेलते हुए देखती थी. उस वक्त उसके घर में एक टीवी तक नहीं था, जिसमें वह क्रिकेट का मैच देख सकती | इसी बीच फलक ने क्रिकेट खेलना शुरू किया . क्रिकेट की एबीसीडी सीखने के लिए वह कई एकेडमी में गई, लेकिन फीस के लिए उसके पास न पैसे और न ही क्रिकेट की किट जिसकी वजह से उसे कहीं दाखिला नहीं मिला | नाज़ के टैलेंट और लगन से प्रभावित क्रिकेटर अजय यादव ने अपनी स्पोर्ट्स टैलेंट एकेडमी में उसे बिना फीस के ही ट्रेनिंग शुरू किया |falak naaz india

फलक ने बैटिंग और बॉलिंग दोनों के लिए ही क्रिकेट के मैदान में जमकर पसीना बहाया और कुछ ही दिनों में वह पहले यूपी की जूनियर टीम में,फिर नेशनल टीम में सेलेक्ट हो गई | टीम इंडिया के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को अपना रोल मॉडल मानने वाली फलक नाज़ फलक का सेलेक्शन अब अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिलाओं के अंडर-19 के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए हुआ है |
बेहद गरीबी और पैसों के अभाव के बावजूद सामाजिक ताने-बाने को तोड़ते हुए नाज़ ने जो मकाम हासिल किया वह बेमिसाल है इसीलिये देश को फलक नाज़ पर नाज़ है |

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