तीसरी अखाड़ा परिषद का भी हुआ गठन, वैष्णव अखाड़ों को मिला मंच

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प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों के बीच चल रही तकरार के एक और अखाड़ा परिषद की एंट्री हो गई है। पहले से अस्तित्व में दो अखाड़ा परिषद के बाद तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन हो गया है। पहली बार महाकुंभ में तीन अखाड़ा परिषद काम करेंगी ।
महाकुंभ मैं श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र होते हैं हिंदू सनातन धर्म के 13 अखाड़े । इन आंखों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हर महाकुंभ में विवादों के घेरे में आती रही है । प्रयागराज महाकुंभ में एक नहीं बल्कि दो अखाड़ा परिषद काम कर रही थी। लेकिन कुंभ मेला प्राधिकरण में अखाड़ों के बीच हुई तकरार के बाद अब तीसरी अखाड़ा परिषद की भी कुंभ में एंट्री हो गई है। तीसरी अखाड़ा परिषद का नाम है अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद।
इसके अध्यक्ष श्री निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास अध्यक्ष और महामंत्री श्री दिगंबर अनी अखाड़ा के बाबा हठयोगी होंगे। श्री महंत राजेंद्र दास ने बताया कि को महामंत्री बनाया गया है। श्री महंत राजेंद्र दास ने बताया कि इसके विधिवत घोषणा वैष्णव अखाड़ों के संतों की अगली बैठक में होगी। इसके जरिए वैष्णव के 18 अखाड़ों को एकजुट किया जाएगा। संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच 7 नवंबर के बीच हुए विवाद के बाद यह निर्णय लिया गया है।
महाकुंभ के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली अखाड़ा परिषद का विवादों से गहरा नाता रहा है। विवादों की सबसे सबसे बड़ी वजह अखाड़ों में वर्चस्व की लड़ाई रही है तात्कालिक कारण हर बार अलग रहे हैं। महाकुंभ या कुंभ में अपने अपने अखाड़ों को बसाने के लिए कुंभ क्षेत्र में अधिक से अधिक जमीन और सुविधाओं को हासिल करने के लिए इस संस्था को दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं। 2025 में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में कुंभ क्षेत्र में अखाड़ों को जमीन देने के पहले जमीन के निरीक्षण के लिए 7 नवंबर को आयोजित अखाड़ों की बैठक में तकरार से परिषद के बीच विवाद खुल कर सामने आ गया किसका नतीजा है तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन। अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद विष्णु उपासक सभी अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था होगी ऐसा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास का दावा । बात अगर परिषद के स्वरूप की करें तो अभी इसमें अध्यक्ष और महामंत्री का चयन हुआ है। बाकी पदाधिकारियों के स्वरूप और निर्वाचन की प्रक्रिया वैष्णव अखाड़ों की अगली बैठक में होगी।

महाकुंभ के आयोजन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की भूमिका अहम रही है। कुंभ मेला प्रशासन इसी संस्था के मार्गदर्शन में कुंभ की व्यवस्था को संपादित करता रहा है । इसी भूमिका के चलते अखाड़ा परिषद का महत्व कुंभ के आयोजन में अहम हो जाता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की 2021 में मौत के बाद अखाड़ा परिषद दो गुटों में बट गई। एक गुट की अगुवाई पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी कर रहे हैं जिन्हें वैष्णव अखाड़ों का भी समर्थन प्राप्त है। श्री महंत राजेंद्र दास भी इसी का हिस्सा रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट की अगुवाई निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी कर रहे हैं जिसे जूना अखाड़े के महंत हरि गिरी का समर्थन मिला हुआ है। इस तरह अंदर से अखाड़ा परिषद की कलह की वजह इसमें संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच आपसी सहमति न हो पाना है। जिसके विवाद से तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन सामने आया है।

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