प्रयागराज। बायोवेद कृषि एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थान मोहरब के 25वें रजत जयंती कृषि वैज्ञानिक एवं किसानों के अधिवेशन में खेती किसानी और बागवानी का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। किसानों ने सिलसिलेवार समस्याएं गिनाएं तो कृषि विशेषज्ञों ने सुझाव भी दिए। कहा गया कि जब तक परंपरागत खेती से हटकर खेती किसानी का आधुनिक तरीका नहीं अपनाया तब तक किसानों की समस्याएं बरकरार रहेंगी। बायोवेद कृषि एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थान में रविवार को दूरदराज से आए नामी गिरामी कृषि वैज्ञानिक एवं किसानों का जुटान हुआ। विधान चंद्र कृषि विश्व विद्यालय पश्चिम बंगाल पूर्व निदेशक प्रोo शंकर के आचार्य ने कहा, निराशा से गरीबी और गरीबी से भुखमरी आती है। जब तक कृषि को उद्यम नहीं माना जायेगा, तब तक समस्या बनी रहेगी। खुशहाली के लिए परम्परागत तरीके को छोड़कर मौजूदा जरूरत के आधार को स्वीकार करना होगा। भारत सरकार के बायो टेक्नोलोजी की पूर्व सीनियर एडवाइजर डॉo सीमा वहाब ने भी टिप्स दिए। कहा कि सीखें, समझें और ज्यादा आमदनी वाली खेती का तरीका अख्तियार करें। अध्यक्षता डॉo जे पी श्रीवास्तव, डॉo विभा मिश्रा, डॉo सी पी पाण्डेय, डॉo बेचन शर्मा, डॉo आर एस पाण्डेय समेत अन्य कई लोगों ने भी विचार रखे। तीन दिवसीय अधिवेशन का समापन 21 फरवरी को होगा। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 17 लोगों को सम्मानित भी किया गया।