शिल्प मेले में हुआ लोक नृत्यों और लोकगीतों का संगम

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प्रयागराज : एनसीजेडसीसी के शिल्पहाट में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले की सांस्कृतिक संध्या में शनिवार को लोक नृत्यों और लोकगीतों का खूबसूरत संगम दिखा | कलाकारों ने चरकुला के साथ त्रिपुरा का होजागिरी लोकनृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। मंच में महिला कलाकारों ने 108 जलते दीपों से सजे चरकुला को सिर पर रख नृत्य किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। लोकगीत जुग-जुग जीयो नाचन हारी व अचक छोड़ आयो रसिया की प्रस्तुति पर भी यहाँ जमकर नृत्य किया।

nczcc चरकुला नृत्य में शीला देवी, अंजलि, रेखा, सुशीला ने अपनी नृत्य की कला का प्रदर्शन किया । कार्यक्रम की शुरूआत मथुरा के रसिया गीत कृष्ण शर्मा एवं के द्वारा गिरिराज ‘‘वंदना सात कोस वारे मतवारे बृजपथ बृज रखवारे से‘‘ हुई । इसके बाद अवधी लोकगायक शिवपूजन ने ‘‘ देखाय देल ललना हे बड़ी मइया, मूड पै हाथ फेरि पूछैं कन्हैया गभूआर बार का होइगा मइया गीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया ।संगत कलाकारों में ढोलक पर भवानी मिश्र, अंबरीश पाण्डेय, चिंतामणि ने साथ दिया।

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कलश, बोतल एवं पारंपरिक दीपक के साथ किया जाने वाला त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य लोगों खूब रास आया। झिझिया नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति बिहार से पधारे अमानाथा प्रसाद एवं दल के द्वारा किया गया जिसमें कलाकारों ने इस नृत्य के माध्यम से मिथिला की संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को बखूबी सबके सामने रखा। शक्ति उपासना की महिमा का बखान करने वाले इस नृत्य का दर्शकों ने भरपूर लुफ्त उठाया।

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